क्या 21 जून को ख़त्म होगी दुनिया (🙄🤦🏻♀😆😆)
सेंट्रल अमेरिका में मैक्सिको बॉर्डर के पास ही एक देश है- ग्वाटेमाला। 1970 के दशक में ग्वाटेमाला में ज़मीन की खुदाई करने पर तिकाल नामक पूरा मंदिर निकला। आर्कियोलॉजिस्ट ने जब इस मंदिर की उम्र मालूम की तो हैरानी हुई क्योंकि ये करीब डेढ़ हजार साल पुराना था और फिर ग्वाटेमाला में कई और जगह ना सिर्फ मंदिर बल्कि पूरे के पूरे शहर मिले जिनका आर्किटेक्चर कमाल का था।
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ये मायन सभ्यता के शहर थे। जो शहर मिले थे उनकी दीवारों पर कैलेंडर उकेरे गए थे। माया लोगों का दिन-रात, महीने, सालों की गणना करने का अपना तरीका था। इन्हीं कैलेंडरों को मायन कैलेंडर कहते हैं और इन्हीं से अब दुनिया के विनाश की भविष्यवाणी की जा रही है।
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इसी कैलेंडर को आधार बनाकर साल 2012 में भी दुनिया को डराया गया था। तब कहा गया था कि 21 दिसंबर 2012 को दुनिया खत्म हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तो कहा गया कि कैलेंडर पढ़ने में चूक हो गई।
मायन कैलेंडर चांद के मासिक च्रकों और सूरज के सालाना चक्रों की गणना करके बनाया गया है। इसमें 13 दिन, 20 दिन और 260 दिन का का वक्त गिना जाता है। 20 तरह के कैलेंडरों से वक्त गिना जाता है। इनमें से तीन कैलेंडर सबसे अहम हैं। एक लॉन्ग काउंट, दूसरा ज़ोल्किन और तीसरा हाब।
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इसमें हाब कैलेंडर के हिसाब से मायन सभ्यता में खेती होती थी। ज़ोल्किन कैलेंडर में 13-13 दिन की 20 अवधियां गिनी जाती हैं। ये धार्मिक रीति रिवाजों के लिए था और तीसरा कैलेंडर जिसे लॉन्ग काउंट यानी लंबी गिनती वाले कैलेंडर के हिसाब से ही अभी दुनिया का अंत बताया जा रहा है। इसमें 5,126 साल गिने जाते हैं। यानि मायन मान्यताओं के मुताबिक, ये मानव सभ्यता के चक्र की शुरुआत से लेकर अंत तक की अवधि है। अब इसी के हिसाब से कहा जा रहा है कि 21 जून 2020 को यानि आज दुनिया खत्म हो जाएगी।
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दुनिया के खात्मे का यह दावा इस बात पर आधारित है कि ग्रेगोरिअन कैलेंडर को वर्ष 1582 में लागू किया गया था। उस समय साल से 11 दिन कम हो गए थे। ये 11 दिन सुनने में तो बहुत कम लगते हैं कि लेकिन 286 साल में यह लगातार बढ़ता गया है। कुछ लोगों का दावा है कि हमें वर्ष 2012 में होना चाहिए। इस दावे को वैज्ञानिक पाओलो तगलोगुइन के एक ट्वीट से और ज्यादा बल मिला है।
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वैज्ञानिक पाओलो तगलोगुइन ने अपने ट्वीट में कहा कि जुलियन कैलेंडर को अगर फॉलो करें तो हम तकनीकी रूप से वर्ष 2012 में हैं। ग्रेगोरिअन कैलेंडर में जाने से हमें एक साल में 11 दिनों का नुकसान हुआ। ग्रेगोरिअन कैलेंडर को लागू हुए 268 साल (1752-2020) बीत चुके हैं। इस तरह से अगर 11 से गुणा करें तो 2948 दिन होते हैं। 2948 दिन बराबर 8 साल होते हैं। हालांकि बाद में वैज्ञानिक पाओलो ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। वैज्ञानिक पाओलो के ट्वीट के बाद अब लोगों का कहना है कि 21 जून 2020 दरअसल, 21 दिसंबर, 2012 है।
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हालांकि ये उन लोगों का इंटरप्रटेशन है जिन्होंने ना तो इस कैलेंडर को बनाया और ना ही काम में लिया।
वर्ष 2020 में पृथ्वी पर महामारी आई है, जंगलों में आग लगी है और टिड्डियों का हमला हुआ है और अफ़वाह फैलाने वाले लोग क्रियाशील हो गए हैं।
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नेशनल ज्योग्राफिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, माया लोग नहीं मानते कि कैलेंडर पूरा होने से दुनिया खत्म हो जाएगी। उन्हें लगता है कि इसके बाद नए सिरे से एक युग की शुरुआत होगी यानि असल में ये फिर से एक भ्रामक दावा है। कॉन्स्पीरेसी थ्योरी देने वाले कुछ लोगों का काम है बस। वास्तव में दुनिया खत्म होने जैसा कुछ नहीं है।
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उधर, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कहना है कि इस दावे का कोई विश्वसनीय वैज्ञानिक आधार नहीं है। इस तरह के दावे के केवल फिल्मों, किताबों और इंटरनेट पर चल रहे हैं और लोगों के भ्रम पैदा कर रहे हैं, इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
तस्वीरें गूगल से साभार,
Souce: Mayan Calendar Systems, Vol. 1 by Cyrus Thomas and Internet.
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