Monday, 19 October 2020

Book Review - The Last Murder by Abhilekh Dwivedi

 of "The Last Murder" - Abhilekh Dwivedi

लिखने पढ़ने का शौक रखने वालों से एक सवाल!

क्या हो अगर आपकी लिखी / पढ़ी जा रही किताब का कोई क़िरदार जीवंत हो उठे? कोई किस्सा सच हो जाए? आप कहेंगे कि खूबसूरत संयोग सा है। 

लेकिन तब क्या हो जब मर्डर मिस्ट्री असल ज़िन्दगी में सच होने लगे?!! एक पब्लिश्ड किताब जो सफल हो चुकी हो, उसी के हिसाब से मर्डर पे मर्डर होने लगें? 

जैसे कॉर्पोरेट में नंबर्स के ऊपर किसी चीज़ को तरज़ीह नहीं दी जाती वैसे ही कमोबेश यही हाल हर फील्ड का होता जा रहा है। गलाकाट प्रतिस्पर्धा के चलते healthy competition और co-exist करने वाले फलसफे कहीं पीछे छूटते चले जा रहे हैं। ऐसे में हर कोई शक के दायरे में आता है। पाठक, पब्लिशर, यहां तक की खुद राइटर भी! कौन है जो खून पर खून कर रहा है और क्यों?

कहीं कोई पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं जो खूनी खेल में बदल गया? 

इन ढेर सारे सवालों के बीच आपको छोड़ता है Abhilekh Dwivedi जी का नया उपन्यास "The Last Murder".

एक एक कर आठ कड़ियाँ आ चुकी हैं और हर बार सस्पेंस गहराता जाता है।  

कुछ यादगार वन लाइनर्स (जो अभिलेख जी का USP बन चुकी हैं) आपको यहाँ भी मिलेंगी, जैसे - 

"उसे पता था कि किस जगह अपनी उपस्थिति कैसे दर्ज करवानी है क्योंकि उसका मक़सद लेखन से राजनीति की और मुड़ना है और इसके लिए ग्राउंड पर पहचान या कहें कि रीच की बहुत ज़रूरत होती है।" 

या फिर - 

"बुक के बिज़नेस में बेस्टसेलर नहीं भी बनो तो कोशिश यही सबकी रहती है कि किताब सबसे ज़्यादा चर्चा बटोरे, भले बिके कम।" 

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नयी हिन्दी का भरपूर उपयोग इसे millenials के बीच ख़ासा लोकप्रिय बनाने की क्षमता रखता है लेकिन इसका सब्जेक्ट और कॉन्टेंट काफ़ी दमदार है और हर उम्र के लोगों को पसंद आएगा। 

अभिलेख जी की लिखी बाकी किताबों से काफ़ी अलग ट्रीटमेंट इस बार।  

हर कैरेक्टर well defined है और सबको अपना स्पेस मिला है।

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अगर वाकई अलग और नया पढ़ने का शौक रखते हैं, तो जल्दी इसे पढ़ डालिए, सस्पेंस अगली कड़ी का इंतज़ार मुश्किल कर देगा आपके लिए। एक अच्छी किताब के लिए आपको बहुत बहुत बधाई अभिलेख जी और ढेर सारी शुभकामनाएं 🙏🏻😊

Aditi Jain




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