Friday, 6 October 2023

गुनाहों की बही

खुद के गुनाहों की बही कब की भर चुकी,
हमारी अदना सी खता तक का हिसाब रखते हैं।
हर बार हबीब बनके रकीबों सा घाव देते रहे,
क़त्ल करके कहते हैं तुम्हें प्यार बेशुमार करते हैं।
-अदिति जैन "अदा"

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