खुद के गुनाहों की बही कब की भर चुकी,
हमारी अदना सी खता तक का हिसाब रखते हैं।
हर बार हबीब बनके रकीबों सा घाव देते रहे,
क़त्ल करके कहते हैं तुम्हें प्यार बेशुमार करते हैं।
-अदिति जैन "अदा"
हमारी अदना सी खता तक का हिसाब रखते हैं।
हर बार हबीब बनके रकीबों सा घाव देते रहे,
क़त्ल करके कहते हैं तुम्हें प्यार बेशुमार करते हैं।
-अदिति जैन "अदा"
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