Friday, 26 August 2016

आ गयी एक और रात

लो फिर आ गई एक और रात,
कुछ देर में चले आएंगे तुम्हारे ख्याल भी... 
सेहर होने तक यादों का पिटारा खुला रहेगा
और ये सिलसिला मुझे सोने नहीं देगा।


फिर सुबह मेरी सुर्ख आँखों पर तंज़ कसे जाएंगे
मेरे गालों पे सूखे आंसू भी निशाने पर आएंगे।
छुट्टी वाला इतवार फुरसत से तुम्हारी याद दिलाएगा
और कमबख्त उजाला मुझे रोने नहीं देगा।


-अदिति जैन 

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